गुना में किसकी गलती….. कानून के नाम पर कानून को किसने हाथ में लिया
गुना में किसकी गलती….. कानून के नाम पर कानून को किसने हाथ में लिया
गुना… जहां खाकी पर कई इल्जाम लगाये रहे हैं, कहा जा रहा है कि कानून के रखवाले ही कानून तोड़ रहे हैं, आखिर गलती किसकी है… जो सरकारी जमीन पर अपने बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी उगा रहा था… जो कर्ज में डूबे अपने परिवार को उस सरकारी जमीन के जरिये बचाना चाहता था… क्या उसकी गलती इतनी बड़ी थी की उसे और उसके परिवार को इतनी बेरहमी से पीटा जाए… खाकी की बर्बरता की ये तस्वीरें… रोते बिलखते इन आँखों का वो दर्द.. गुना के उस घटना की भयानक कहानी बंया कर रहा है..
इस कहानी में एक रसूखदार पूर्व पार्षद नागकन्या एवं उनके पति गब्बू पारदी की वो जमीन है… अपने परिवार को बचाते बटाईदार राजू की मजबूरी है और खाकी की बर्बरता है…दरसल 50 करोड़ रुपये कीमत की इस 45 बीघा जमीन पर गत 30 वर्षों से बसपा की पूर्व पार्षद नागकन्या एवं उनके पति गब्बू पारदी ने कब्जा कर रखा है। विवाद के बीच उन्होंने जमीन फसल की बोआई के लिए राजू को दे दी थी। पुलिस एवं प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर कब्जा हटाने की शुरुआत की तो विवाद हो गया। बटाईदार राजू ने पुलिस कार्रवाई का विरोध किया तो उसे लाठियों से पीटा गया। बचाव में उतरी पत्नी पर लाठियां पड़ गई तो राजू ने कीटनाशक पीकर जान देने की कोशिश की… प्रशासन ने जमीन से कब्जा हटाने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई। तब पुलिस ने खड़ी फसल को कुचल दिया। तब भी राजू के पास ही बटाई पर यह जमीन थी। फसल नष्ट हो गई, जिससे करीब तीन लाख रुपये का नुकसान हुआ। खेती के लिए रुपये उधार लिए थे, उस पर ब्याज का चक्र बढ़ता जा रहा था। इसलिए उसने दोबारा इस जमीन में सोयाबीन आदि की बुआई कर दी। इस उम्मीद के साथ कि अच्छी पैदावार होने पर कर्जा चुकाकर विवादित जगह को छोड़ दूंगा, पर ऐसा कुछ हो इससे पहले ही उसपर लाठियां बरसाईं गई. .. उसके सामने उसके परिवार को मारा गया… उसकी मेहनत को बर्बाद कर दिया गया..
क्या खाकी में जरा भी इंसानियत नहीं बची? क्या इन लोगों पर ये अत्याचार किसी भी मामले में सही है? आखिर गुना के इस घटना में गलती किसकी है?