बॉलीवुड में बनी गर्भपात पर फिल्म, कब बन जाता है ये वरदान से अभिशाप
बॉलीवुड में बनी गर्भपात पर फिल्म, कब बन जाता है ये वरदान से अभिशाप
आजकल बॉलीवुड जागरुकता फैलाना तका एक बड़ा माध्यम बन चुका है, यही नहीं आजकल जिसतरह से फिल्मों में नए ने एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं. और जैसी फिल्में बन रही हैं. ये हमारी रूढ़ीवादी सोच पर भी भारी प्रहार करती है. और हमें ने रौशनी से मिलवाती है, एसी ही एक फिल्म है 360-VR , ये फिल्म गर्भपात और उससे जुड़ी समस्याओं को उजागर करता है. और दिखाता है कि महिलाएं किस तरह इसका दर्द सहन करती हैं और उनके अपनों से कैसी उम्मीदें होती हैं.
दोस्तो कहते मां बनना दुनिया का सबसे बड़ा सुखद अनुभव है, और सबसे बड़ा वरदान भी, शायद की और बच्चे से इतना प्यार जितना एक मां करती है. तो फिर ऐसा क्या होता है कि एक औरत को गर्भपात कराना पड़ता है. ये दर्द ये तकलीफ शायद वही जान सकती है. लेकिन कभी कभी ऐसी सिचुएशन आ जाती है कि ना चाहते हुए भी गर्भपात जैसा बड़ा कदम उठाना पड़ता है.
वैसे भारत में गर्भपात करवाने की क़ानूनी इजाज़त गर्भवती होने के बाद 20 हफ़्तों के अंदर कुछ विशेश हालत में है, और ऐसे हालात में कनून इसकी इजाजत देता है, लेकिन फिर भी एक काफी संवेदनशील मामला है. इसके बारे में लोग जल्द खुल कर बात नहीं करते हैं. वैसे तो गलत तरिके से लिंग के आधार पर आज भी अवैध तरीके से गर्भपात हो रहा है. लेकिन अगर कोई लड़की या रत अपने शरीर या स्वास्थ के ले ऐसा कर ले तो वो समाज के नजर में गुनाह है.
समाज और उसकी रूढ़ीवादी सोच आज भी इस तरह के मामले को गलत नजर से देखती है, ऐसे में ज्यादातर महिलाएं अपने स्वास्थ को दांव पर लगा देती हैं. भारत में हर साल इस वजह से ना जाने कितनी मौतें हो जाती हैं, और कभी कभी इसका होने वाले बच्चे पर भी पड़ता है. अगर मां इस हालत में नहीं है कि बच्चे को जन्म दे सके तो इससे बच्चे पर भी काफी गहरा असर हो जाता है.
ऐसे में सवाल ये है कि गर्भपात कराना सच में गुनाह है, क्या एक औरत को खुद के बारे में सोचने का हक नहीं है. और इसके बारे में जागरुकता फैलाना कितना जरूरी है. गर्भपात को लेकर लोगों को समाज को अपनी सोच बदली होगी. समझना होगा कि जरूरी क्या है. और क्यों है.
Pratiksha Srivastava