भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक केदारनाथ से जुड़ा यह रोचक तथ्य आप भी नहीं जानते होंगे
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक केदारनाथ से जुड़ा यह रोचक तथ्य आप भी नहीं जानते होंगे
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बसा हुआ है। यह धाम मंदाकिनी नदी के किनारे 3581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान शिव द्वारा धारण किए गए भैंसे के रूप के पिछले भाग की पूजा की जाती है।
यह स्थापित ज्योतिर्लिंग त्रिकोण आकार का है । ऐसा कहा जाता है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ प्रकट हुए और उन्हे ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वरदान दिया।
सालों से केदारनाथ धाम आस्था का केंद्र बना हुआ है। वहीं मंदिर के कपाट हर साल अप्रैल या मई में खोले जाते हैं और भैयादूज पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
आपको बता दें कि इस धाम से जुड़ा रोचक तथ्य यहां कि अखंड ज्योत है, जो कि मंदिर के कपाट बंद करते समय प्रज्जवलित की जाती है तथा फिर 6 माह के पश्चात जब धाम के कपाट खोले जाते हैं तो यह ज्योत निंरतर जलती रहती है।
भगवान शिव का यह धाम एक छह फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मंदिर में मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नंदी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। केदारनाथ मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है पहला – गर्भगृह, दूसरा – दर्शन मंडप जहां पर दर्शनार्थी एक बड़े प्रांगण में खड़े होकर पूजा करते हैं और तीसरा – सभा मंडप इस जगह पर सभी तीर्थ यात्री जमा होते हैं।