जाँच में वीर्य के ना मिलने पर बलात्कार माना जाएगा? बालात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच के बारे में कानून क्या कहता है?

जाँच में वीर्य के ना मिलने पर बलात्कार माना जाएगा? बालात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच के बारे में कानून क्या कहता है?

दण्ड प्रक्रिया की धारा 164ए में कहा गया है कि महिला जिसके साथ बलात्कार किया गया है या बलात्कार का प्रयास किया गया है। महिला की सहमति के बाद अथवा महिला की तरफ से किसी और व्यक्ति की सहमति के बाद चिकित्सीय जाँच की जा सकती है। चिकित्सीय जाँच बिना किसी देरी के होनी चाहिए और रिपोर्ट में महिला की पहचान, उम्र, डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए उससे ली गई सामिग्री का विविरण, किसी चोट का निशान, महिला की मानसिक स्तिथि अथवा कोई भी सम्बन्धित जानकारी/वस्तु होनी चाहिए। इस रिपोर्ट में परीक्षण के शुरू होने का समय और पूरा होने का सही समय प्रदान करना आवश्यक है।

पीड़ित की चिकित्सीय जाँच के संबंध में केंद्र के दिशानिर्देश।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार घटना के 72 घण्टे (यानी 3 दिनों में) जाँच हो जानी चाहिए अगर पीड़िता जीवित है तो जांच 96 घण्टे (यानी 4 दिन) में पूरी हो जानी चाहिए। इसके बाद साक्ष्य मिलने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती है।

बालात्कार को कानून में कैसे परिभाषित किया गया है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत, पुरुष लिंग की महिला की योनि, मुँह, मलद्वार में किसी भी हद तक पैठ है तो वह बलात्कार माना जाएगा। अगर पुरूष का मुँह योनि, मुँह या मलद्वार पर लगता है तो यह भी बालात्कार माना जाएगा।

हालांकि, यह कृत्य बालात्कार तब माना जाएगा जब वह महिला की इच्छा के विरुद्ध हो। अगर महिला किसी हानि के डर या मृत्यु के डर से सहमति देने पर मजबूर हो तो बालात्कार माना जाएगा। महिला की नशे की स्थिति या किसी पदार्थ के सेवन के बाद अवचेत स्थिति में बनाया गया सम्बंध भी बलात्कार माना जाएगा।

बलात्कार के लिए कम से कम 10 साल या आजीवन कारावास की सजा है। ऐसे मामले जहाँ पीड़िता की मौत हो गई हो या वह गैंगरेप का शिकार हुई हो तो कम से कम 20 साल की सजा अथवा इसे बढ़ाया भी जा सकता है। अगर पीड़िता की मृत्यु हो गई हो तो दोषी को मौत की सजा भी दी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की वीर्य की अनुपस्थिति में प्रतिक्रिया।

वर्ष 1998 में रंजीत हजारिका वनाम स्टेट्स ऑफ असम केस में सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर की उस रिपोर्ट को रदद् कर दिया था जिसमे कहा गया था कि योनि से वीर्य के साक्ष्य नही मिले इसलिए रेप की पुष्टि नही की जा सकती।

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