इंसानियत पर हजारों सवाल करती है, उस गर्भवती बेजुबान हथनी की दर्दनाक हत्या
हम रोज हजारों खबरे सुनते हैं कुछ अच्छी कुछ बुरी और कुछ ऐसी जिसे सुन कर मन विचलित हो जाता है… इन्सानियत की धज्जियां उड़ाती ये खबरें दर्द की एक अलग दास्तां बयां करती हैं… ये दिखाती हैं कि कैसे इन्सान दानव बनता जा रहा है… इन्सानियत से कोसों दूर हो चुका है ऐसा ही कुछ आज सुबह सुबह सुनने को मिला… जहां कुछ राक्षसों ने एक बेजुबान को बड़ी ही बेहरहमी से मौत के घाट उतार दिया…. उसकी गलती बस इतनी थी कि वो अपनी भूख मिटाना चाहती थी… इन्सानों से दोस्ती करना चाहती थी, उनपर विश्वास करना चाहती थी…. लेकिन हम इन्सानों ने फिर एक बार साबित कर दिया कि हम उस लायक ही नहीं है…. हम इन्सान के रूप में एक दरिंदे बन चुके हैं…
बात उस बेजुबान हथनी की है जो गर्भवति थी एक बच्चे को जन्म देने वाली थी… केरल राज्य के मालापुरम जिले में हथिनी खाने की तलाश में जंगल से बाहर निकलकर एक गांव में पहुंची। गांव में घूमते समय उसे कुछ स्थानीय लोगों ने पटाखों से भरा अनानास दिया। गर्भवती हथिनी ने अनानास जैसे ही मुंह में डाला, वैसे ही वह फट पड़ा। हथिनी का मुंह और जीभ बुरी तरह झुलस गए। जो खाने के तलाश में गांव की ओर आई थी ये सोच कर की कुछ खाऊंगी और अपना और अपने होने वाले बच्चे का पेट भरुंगी… लोगों के हाथ में खाना देखकर आज तो वो बहुत खुश रही होगी, शायद अपने आने वाले बच्चे के बारे में सोच रही होगी… लेकिन उसे कहां पता था कि कुछ दरिंदे हाथों में खाना नहीं बल्कि उसकी मौत लिए उसका इंतजार कर रहे होंगे… उनके लिए तो शायद ये एक शरारत रही होगी, लेकिन उस हथनी की तो पूरी जिंदगी खत्म हो गई… उनके हाथ नहीं कांपे होंगे एक बेजुबान को मुंह में पटाखे डालते वक्त…
मुंह में खाने की जगह अपनी मौत के पटाखे लिए वो बेचारी न जाने कहां कहां भागी होगी, अपने बच्चे की जान बचाना चाहती होगी… कितनी पीड़ा और दर्द से गुजरी होगी… लेकिन जब उसे समझ आ गया कि अब वो न तो खुद बच पाएगी न उस बच्चे को बचा पाएगी तो उसने खुद को पानी में समा लिया… चुप चाप बिना किसी पर हमला के किसी को नुकसान पंहुचाए… ये मौत नहीं हत्या है…. हत्या इन्सानियत की, हत्या मानवता की…