Pitru Paksha: महिलाएं भी कर सकती है पिंड दान, इन बातों का रखें ध्यान
Pitru Paksha: महिलाएं भी कर सकती है पिंड दान, इन बातों का रखें ध्यान
Pitru Paksha का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। श्राद्ध पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक मनाया जाता है। इन दिनों लोग अपने पूर्वजों को याद करक उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितृ, पितृलोक से मृत्यु लोक पर अपने वंशजों से सूक्ष्म रूप में मिलने के लिए आते हैं।
वहीं इस अवसर पर सभी उनका स्वागत व मान-सम्मान करते हैं।
श्राद्ध पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता अभिव्यक्त करने तथा उन्हें याद करने के लिए किया जाता है।
यह पूर्वजों के प्रति सम्मान होता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार महिलाएं भी पिंडदान कर सकती हैं।
जिसके लिए कुछ नियम बताए गए हैं।
अगर किसी व्यक्ति के पुत्र नहीं हैं, तो ऐसे में परिवार की महिलाएं यानी पुत्री, पत्नी और बहू अपने पिता के श्राद्ध और पिंड का दान कर सकती हैं।
आपको बता दें कि धर्मसिंधु ग्रंथ, मनुस्मृति, वायु पुराण, मार्कंडेय पुराण और गरुड़ पुराण में महिलाओं को तर्पण और पिंडदान करने का अधिकार बताया गया है।
वहीं ब इसके अलावा वाल्मीकि रामायण में सीता जी ने राजा दशरथ को एक पिंड दान किया था।
इन बातों का रखें ध्यान
श्राद्ध करते समय महिलाओं को सफेद और पीले रंग के वस्त्र धरण करने चाहिए।
धार्मिक मान्यता की मानें तो केवल विवाहित महिलाओं को ही श्राद्ध करना चाहिए।
तर्पण करते समय महिलाएं कुश, जल और काले तिल डालकर तर्पण नहीं कर सकती।
यदि श्राद्ध तिथि याद न हो तो नवमी को वृद्ध स्त्री-पुरुषों का तथा पंचमी को संतान का श्राद्ध करें।