एक बार फिर जहर के गिरफ्त में राजधानी
एक बार फिर जहर के गिरफ्त में राजधानी
राजधानी एक बार फिर जहर के गिरफ्त में है, ये जहर इस कदर फैल चुका है कि इससे बाहर निकलना मुश्किल नजर आ रहा है… हर साल दिवाली आते ही जहां पूरे देश में दिवाली की खुशियां होती हैं वहीं दिल्ली वालों के मन में डर दिखाई देता है…और ये डर दिवाली के बाद लोगों के मन से निकल कर आसमान में छा जाता है… और रोज थोड़ा थोड़ा जहर हमारे अंदर भरता है… हम सब इस बात को अच्छे से जानते है लेकिन बस जानते ही हैं… इसके आगे क्या
बात सिर्फ इतनी नहीं है… इस जहर का अगर सिर्फ हम तक नहीं रहने वाला बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियां शायद इससे भी भायनक मंजर देखने वाली हैं… वो मंजर जो शायद हम अपने बच्चों को कभी न दिखाना चाहें…
हालत तो बद से बत्तर हैं, लेकिन खास बात ये है कि हम इसके नुकसान भी जानते हैं, हमें ये भी पता है कि इसकी वजह क्या है, इसे कैसे कम करना है हम इस बात से भली भांति वाकिफ हैं लेकिन फिर भी हम कुछ करना नहीं चाहते… सरकार को कसूरवार ठहरा कर हम अपनी जिम्मेदारियों से हट जाते हैं… पर कबतक? अगर कोई ये सोचता है कि इससे ज्यादा से ज्यादा क्या तो उनके लिए रिपोर्ट आ रही है कि उतर भारत का मैदानी इलाका वायु प्रदूषण के मामले में शेष भारत को काफी पीछे छोड़ चुका है। अब सोचिए हालात कितने नाजुक हैं। द इकनॉमिस्ट के मुताबिक भारत में जहरीली हवा से प्रतिवर्ष 12 लाख लोगों की मौत हो रही है। दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित 15 शहरों में से 12 शहर भारत के अंदर है…
सरकार कदम न उठाए तो गलत अगर वो कदम उठाए तो बेकार… लेकिन हम क्या कर रहे हैं…. अब ये आप पर है कि आप वायु प्रदूषण के कारण हांफती दिल्ली देखना चाहते हैं या खुली और स्वच्छ हवा में जिंदगी जीना चाहते हैं…
Pratiksha Srivastava