आखिर कहां से हुई इस रक्षाबंधन के इस खास दिन की शुरुआत
आखिर कहां से हुई इस रक्षाबंधन के इस खास दिन की शुरुआत
राखी भाई बहन के रिश्ते वो खूबसूरत दिन जिस दिन, हर बहन अपने भी से रक्षा का वचन लेती है, और साथ उसके लंबी उम्र की कामना करती है. राखी का धागा महज एक धागा नहीं होता, ये डोर होता है भआई बहन के उस रिश्ते का जिसमें लड़ाई झगड़े हैं, रूठना मनाना है, प्यार टकरार है. ये सब कुछ एक ही जोर में पिरोया गया है.
कहते हैं रक्षा बंधन ना सिर्फ अपनों को करीब लाता है, बल्कि गैरों को भी अपना बना लेता है, ये त्योहार हर धर्म हर मजहब से ऊंचा होता है, ये किसी जाति या धर्म में बंधा हुआ नहीं ना किसी समाजिक बंदिशों से जकड़ा हुआ है. इसे बस सच्चे दिल से मनाया जाता है.
क्या कहती हैं कथाएं
लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर इस दिन कि शुरात कैसे हुई पुराणों मों कई कथाएं मशहूर हैं जिसमें अलग लग तरह से राखी के इस दिन का वर्णन हुआ है.
कहते हैं लक्ष्मी जी ने बलि के वचन से भगनाव विष्णु को मुक्त कराने के लिए बलि को रक्षा सूत्र भेजा था, और भगनाव विष्णु को मुक्त करने का वचन लिया था.
इसके अलावा कहा जाता है कि महाभारत के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की रक्षा के लिए द्रौपदी ने उनके हाथ में रक्षा सूत्र बांधा था.
वैसे रानी कर्णावति और हुमांयू का किस्सा भी काफी मशहूर है, जहां अपने राज्य को बचाने के लिए रानी कर्णावति ने हुमांयू को राखी भेजी थी.
कौन सी राखी है सबसे लाजवाब
वैसे इस खास दिन पर बजारों की रौनक भी देखने लायक है, बजारों में हर तरह की राखियों से लेकर मिठाइयां सजी हुई हैं. सबसे ज्यादा इस साल फेंगसुई राखियों की मांग है. साथ ही कुछ खास तरीके की राखियों को भई लोग खूब पसंद कर रहे हैं.