इस साल 2 सरकारी बैंक होने जा रहे हैं प्राइवेट, नीति आयोग ने तैयारी की फाइनल लिस्ट!
इस साल 2 सरकारी बैंक होने जा रहे हैं प्राइवेट, नीति आयोग ने तैयारी की फाइनल लिस्ट!
कोरोना महामारी के बीच सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने ‘विनिवेश’ के आधार पर बने सचिवों के एक ‘कोर ग्रुप’ को उन 2 बैंकों के नाम दे दिए हैं, जिन्हें इसी फाइनेंसियल ईयर में प्राइवेट किया जाना है.
इस साल पेश हुए बजच के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भाषण के दौरान कहा था कि, सरकार चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक सेक्टर के 2 बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का प्राइवेटाइजेशन करेगी. लेकिन इसमें कौन से वो दो बैंक होंगे, इसके चयन की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी गई थी. इसी बीच पीटीआई के हवाले से आ रही एक खबर की माने तो नीति आयोग के अधिकारी ने ये बताया है कि, ‘हमने सचिवों के कोर ग्रुप को बैंकों के नाम की अंतिम लिस्ट सौंप दी है’.
फिलहाल उन 2 बैंकों के नाम क्या हैं, अभी तक इसके बारे में कोई भी जानकारी सामने नहीं आ पाई है. रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले सचिवों का कोर ग्रुप इस लिस्ट पर विचार करने के बाद इस पर मंजूरी के लिए पहले अल्टरनेटिव मैकेनिज्म और उसके बाद कैबिनेट के पास भेजेगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, कैबिनेट की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों में होती है. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लेकर रेग्युलेटरी परिवर्तन किए जाएंगे.
बैंकों को निजी करने के पीछे की क्या है वजह
बैंकों को प्राइवेट की लिस्ट में डालने की वजह के बारे में बताते हुए निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा था कि, देश को SBI जैसे बड़े बैंकों की आवश्यकता. हमें ऐसे बैंक की जरूरत है, जो अपने स्तर को बढ़ाने के काबिल हों और देश की आकांक्षाओं को पूरा करने की काबिलियत रखते हों.
कर्मचारियों को नहीं होगा किसी भी तरह का नुकसान
इसके साथ ही कहा जा रहा है कि, बैंकों के प्राइवेट होने से इसका असर कर्मचारियों के हितों पर नहीं पड़ेगा. इस बारे में वित्त मंत्री ने बैंक कर्मचारियों को ये यकीन दिया है कि, बैंको के निजी होने के बाद कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और स्केल से संबंधित सभी चीजों का ध्यान रखा जाएगा.