The Kashmir File: कश्मीरी हिन्दुओं के दर्द को बयां करती कश्मीरी हिन्दुओं की कहानी
The Kashmir File: कश्मीरी हिन्दुओं के दर्द को बयां करती कश्मीरी हिन्दुओं की कहानी
दा कश्मीर फाइल्स… ये एक फिल्म नहीं है बल्कि 1990 के नरसंहार की एक ऐसी सच्चाई है जो शायद हमे अंदर तक झकझोरने के लिए काफी है. लोगों के मुंह से एक फिल्म की इतनी बातें सुनी कि मन हुआ फिल्म जरूर देखनी चाहिए. ट्रेलर देखकर हालांकि फिल्म की पृष्ठभूमि समझ आ गई थी और इतने दिनों से बस इस बारे में इतना कुछ सुनने को मिल रहा था तो देखना तो बनता था. मन बनाया और टिकट बुक कराने लगी लेकिन इसके लिए थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि इस फिल्म को स्क्रीनिंग काफी कम मिलने की वजह से ज्यादा जगह ये फिल्म लगी नहीं है जिसकी वजह से घर से काफी दूर मिला. खैर मैं थिथेटर के अंदर गई, तब शायद खुद को इतना तो तैयार कर लिया था कि कुछ सिन्स में दिल पिघल सकता है और मन भर सकता है.
मन में कई सवाल लिए मैं फिल्म देखने पहुंच गई, फिल्म की शुरुआत इतनी संजीदा थी की मानो रूह तक उतर रहा हो. एक बार जो सीट पर आप बैठ गए, तो पूरी फिल्म में आप कहीं उठ नहीं पाएंगे. ज्यादातर फिल्मों के दौरान लोग अपने घर के किस्से भी आपस में बताते रहते हैं तो कहीं लोग फेन भी उठा लिया करते हैं ऐसे में कई तरह की आवाजें पूरे हॉल में गूंजती रहती हैं. मगर आज ये कैसा सन्नाटा था, कोई शोर नहीं फिल्म का एक एक सीन मानो कश्मीरी हिन्दुओं की एक ऐसी दास्तां बयां रहा था जो अबतक मेरे दिलों दिमाग में बसा हुआ है. वो चीख पुकार सबकुछ सच लग रहा था और मैं धीरे धीरे उनके इस तकलीफ को महसूस कर रही थी.फिल्म में एक कुछ पल तो ऐसे आए जहां मेरा शरीर कांप रहा था और आंखें भीग चुकी थी. और जहन में बस एक ही बात थी कि आखिर इनका क्या कसूर था. जिन्हें अपना सबकुछ छोड़ कर अपने ही घर से बेघर क दिया गया.. उनके बच्चों को मार दिया गया…
विवेक अगनिहोत्री जी ने फिल्म को इस तरह फिरोया कि गलती की गुंजाइश बचती ही नहीं, जिस जगह जिसे होना चाहिए वो बिल्कुछ उसी जगह है. वहीं कलाकारों पूरी फिल्म में जान फूंक दी है, अपने किरदारों को ऐसे जिया है कि मानो उनके साथ ही ये सबकुछ हुआ है. और बात अगर अनपम खेर जी की करें तो शायद इस फिल्म में उनकी एक्टिंग कभी कोई भुला पाएगा.