जानें कब मनाई जाएगी परशुराम जयंती, इस वजह से भगवान परशुराम ने किया था मां का वध

जानें कब मनाई जाएगी परशुराम जयंती, इस वजह से भगवान परशुराम ने किया था मां का वध

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है. जिसे लोग परशुराम जयंती के तौर पर भी मनाया जाता है. माना जाता है कि, इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. इस साल परशुराम जयंती 14 मई, यानी शुक्रवार को मनाई जाएगी. हिंदू शास्त्रों की माने तो इन्हें भगवान विष्णु का 6ठा अवतार माना जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि, परशुराम अपने माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी माता की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया था. अब आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसे कैसे हो सकता है.
पिता की आज्ञा पर मां का परशुराम ने किया था वध
पुरानी कथाओं की माने तो, भगवान परशुराम माता रेणुका और ॠषि जमदग्नि के चौथे पुत्र थे. खास बात तो यह थी कि, आज्ञाकारी होने के वो थोड़ा उग्र स्वभाव के भी थे. भगवान परशुराम को एक बार उनके पिता ने आज्ञा दी थी कि वो अपनी मां का वध कर दें. इसी बात का मान करते हुए भगवान परशुराम तुरंत अपनी मां का सिर उनके धड़ से अलग कर दिया था. पुत्र के इस कार्य को देखने के बाद पिता ऋषि जमदग्नि काफी खुश हुए थे और उन्होंने भगवान परशुराम के आग्रह करने पर उनकी मां को फिर से जीवित भी कर दिया था.
जाने इसके पीछे की क्या थी कथा?
दरअसल ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा की माने तो, एक बार जब भगवान परशुराम की मां स्नान करने सरोवर ममें पहुंची थी. तब अचानक से वहां राजा चित्ररथ नौकाविहार करने पहुंचे थे. उन्हें देख ऋषि की पत्नी के हृदय में अशांति मच गई थी. ऐसे में वो सीधे आश्रम लौट आईं. इस दौरान जब आश्रम में ऋषि जमदग्नि पहुंचे तो पत्नी को विकारग्रस्त दशा में देख उन्होंने अपनी दिव्यदृष्टि से सबकुछ पता लगा लिया. पत्नी के मन में उठे विकार को देखने के बाद ऋषि बहुत क्रोधित हो गए थे.
इसलिए उन्होंने अपने ही पुत्रों को आदेश देते हुए कहा कि अपनी मां का सिर काट दो. लेकिन मां की ममता की वजह से इस कार्य के लिए कोई भी पुत्र तैयार नहीं हुआ. लेकिन इस आज्ञा का पालन परशुराम ने करते हुए मां का सिर धड़ से अलग कर दिया. इस बात से खुश होने के बाद ऋषि जमदग्नि ने पुत्र से मनमुताबिक वर मांगने के लिए कहा.
मां का वध करने का लगा था पाप
इस मौके पर परशुराम ने अपने पिता से माता को फिर से जीवित करने का वरदान मांगा. अपने पुत्र की तेज बुद्धि को देखते हुए उन्होंने परशुराम को दिक्दिगन्त तक ख्याति अर्जित करने और समस्त शास्त्र और शस्त्र का ज्ञाता होने का आशीर्वाद दिया. लेकिन इस काम से भगवान परशुराम को मातृ हत्या का पाप लगा. जिसके लिए उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या करते हुए इस पाप से मुक्ति पा ली. भगवान शिव ने परशुराम को मृत्युलोक के कल्याण के लिए परशु अस्त्र भी दान किया था. जिसके बाद वो परशुराम कहलाए गए.
ये है शुभ मुहूर्त
परशुराम जयंती 14 मई 2021 दिन शुक्रवार
तृतीया तिथि प्रारम्भ- 14 मई 2021 सुबह 05:38 बजे
तृतीया तिथि समाप्त- 15 मई 2021 सुबह 07:59 बजे तक

Pratiksha

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