श्रीदेवी… चांदनी से मॉम तक का आसाधारण और खूबसूरत सफर
श्रीदेवी… चांदनी से मॉम तक का आसाधारण और खूबसूरत सफर
13 अगस्त आज ही वो दिन है जब देश को पहली सुपरस्टार मिली थी. कभी नगीना की वो खूबसूरत नागिन तो कभी डबल रोल करती चालबाज की अंजू मंजू… कभी सदमा की वो मासूम नेहलता तो कभी इठलाती बलखाती चांदनी… वो श्रीदेवी का हुनर ही तो था, कि जिस रोल को करती उसमें रम जाती.
उनकी खूबसूरती ऐसी कि हर कोई दिवाना हो जाता था. अदायगी ऐसी कि हर हीरो उनके साथ काम करने को बेचैन रहता. हुनर ऐसा कि जो भी फिल्म करती सुपरहिट हो जाती. बॉलीवुड के हर स्टार के साथ उन्होनें स्क्रीन शेयर किया था. फिर चाहे वो मिथुन हो या अनील कपूर.
बचपन में ही करियर की शुरुआत करने वाली श्रीदेवी जल्द ही भारत की पहली फिमेल सुपरस्टार बन गई. अपनी हर फिल्म में उन्होनें अलग अलग तरह के किरदार निभाए, जो आज भी उनकी याद दिलाने के लिए काफी है. जहां उन्होंने चांदनी जैसी रोमांटिक फिल्में कीं वहीं इंग्लिश विंग्लिश और मॉम जैसी मीनिंगफुल फिल्में भी कीं
चेहरे पर मासूमियत और अदा में वो चुलबुलापन जो बेदम जिंदगी में भी नई जान डाल दे. उन्होनें हिन्दी सिनेमा में हिरोइनों की एक नई परिभाषा लिखी, अपनी एक्टिंग से उन्होंने साबित किया कि फिल्में सिर्फ हीरो के बदौलत नहीं चलती..
जिंदगी में हम सभी उतार चढ़ाव देखते हैं उन्होंने भी देखे लेकिन कभी हार नहीं मानी, जिंदगी को अपनी शर्तो और काबलियत पर जीने वाली श्रीदेवी एक दिन अचानक एक हादसे का शिकार हो गईं, और बेवक्त ही दुनिया को सदमा देकर चली गईं. फैन्स को क्या शायद खुद श्रीदेवी भी इस भयानक हादसे से अनजान थीं. नहीं जानती थी कि पल भर में जिंदगीं उनसे चालबाजी कर जाएगी, और हम हमेशा के लिए अपनी चांदनी खो देंगे
भले ही आज वो हमारे बीच ना हो लेकिन उनकी मुस्कुराहट और चुलबुलापन आज भी हमें उनकी याद दिलाता है.