इन्दिरा गांधी के कुछ खास स्लोगन
इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) का जन्म 19 नवंबर 1917 को अल्लाहाबाद में हुआ था। इन्दिरा वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं..
वो न केवल एक अच्छी राजनीतिज्ञ थी बल्कि एक प्रखर वक्ता भी हैं, आप भी पढिए उनकी कुछ खास स्लोगन
मावीरों का गुण है।
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, वो जो काम करते हैं और वो जो श्रेय लेते हैं। पहले समूह में रहने की कोशिश करो, वहां बहुत कम प्रतिस्पर्धा है।
प्रश्न करने का अधिकार मानव प्रगति का आधार है।
वहांप्रेम नहीं है जहां इच्छा नहीं है।
आप बंद मुट्ठी से हाथ नहीं मिला सकते।
आपको गतिविधि के समय स्थिर रहना और विश्राम के समय क्रियाशील रहना सीख लेना चाहिए।
क्रोध कभी बिना तर्क के नहीं होता, लेकिन कभी -कभार ही एक अच्छे तर्क के साथ ।
एक देश की ताकत अंततः इस बात में निहित है कि वो खुद क्या कर सकता है, इसमें नहीं कि वो औरों से क्या उधार ले सकता है।
कुछ करने में पूर्वाग्रह है – चलिए अभी कुछ होते हुए देखते हैं। आप उस बड़ी योजना को छोटे -छोटे चरणों में बाँट सकते हैं और पहला कदम तुरंत ही उठा सकते हैं।
शहादत कुछ ख़त्म नहीं करती, वो महज़ शुरआत है