हजारों जानें बचा चुका हीरो चूहा, बेहतरीन करियर के बाद हो रहा है रिटायर, मिल चुका है गोल्ड मेडल

हजारों जानें बचा चुका हीरो चूहा, बेहतरीन करियर के बाद हो रहा है रिटायर, मिल चुका है गोल्ड मेडल

देश और दुनिया में अक्सर पशु-पक्षी बायोडाइवरसिटी में खास योगदान देते हैं. लेकिन, जब बात चूहों की आती है तो अक्सर इंसान इनसे बचते हे ही नजर आते हैं. क्योंकि इन्हे सिर्फ नुकसान के लिए ही इंसान जानता है. आए दिन कभी गोदामों में अनाज के ढेर को कुकते हुए दिखाई देते हैं, तो कभी घर में रखी किसी भी वस्तु को काट देते हैं. यहीं तक प्लेग जैसी भयानक महामारी की वजह से भी एक दौर में ये काफी ज्यादा चर्चाओं में रहे थे.
लेकिन इसी बीच एक चूहा अपनी काबिलियत के दम पर चर्चा में बना हुआ है. जिसकी तारीफ में लोग कसीदे बढ़ रहे हैं. दरअसल ये चूहा अफ्रीका है. मगावा इंसानों की मदद की वजह से सुर्खियों में है. जमीन के अंदर बमों को खोजने में कुशल इस चूहे ने अब तक तकरीबन 72 बारूदी सुरंगें और 38 विस्फोटक बम की तलाश कर हजारों लोगों की जान का बचाने में मदद की है.
जानकारी के मुताबिक मगावा नाम का ये चूहा तंजानिया का था. साल 2014 की बात है, जब ये बांस के जंगलों के बीच जन्मा. इसे विस्फोटकों की पहचान के लिए बेल्जियन की एक संस्था ने खास ट्रेनिंग दी. संस्था APOPO की माने तो मगावा ने अपने फुर्तीलेपन से अब तक कई बहादुरी के काम किए हैं. यहां तक कि, महज 5 साल के अंदर 225,000 स्क्वायर मीटर जमीन में बारूदी सुरंगे खोज निकाली हैं.
माना जाता है कि, ट्रेनिंग के दौरान शुकूआत में मगावा को इन कामों में कुछ खास दिलचस्पी नही थी. उस दौरान उससे पसंदीदा खाने का लालच देकर काम करवाने की कोशिश की जाती थी. खाने में उसे केले, तरबूज के बीज और मूंगफलियां चाव मिलती थी. ऐसे में उसका मन धीरे-धीरे काम लगने लगा और जल्द ही वो पूरी तरह से ट्रेंड हो गया. इसके बाद उसे कंबोडिया लाया गया ताकि विस्फोटकों की पहचान करके वो उसकी खोज में पुलिस की हेल्प कर सके.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, कंबोडिया उन अस्थिर देशों में बसा है, जहां पर आए दिन आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है. इसके साथ ही ये आंतरिक युद्ध से भी घिरा हुआ है. और तो और आसपास के अफ्रीकी देश जैसे अंगोला, मोजांबिक भी इसी कैटेगरी का हिस्सा हैं, जहां पर लगातार चूहों और दूसरे तेज-तर्रार जानवरों को ट्रेनिंग देकर विस्फोटकों का पता लगाने की कोशिश की जाती रही है.
बात करें मगावा चूहे कि तो लगभग 70 सेंटीमीटर लंबाई और सवा किलो वजन वाला ये चूहा हर बार तेजी से फैसला करता था और चंद मिनटों में जमीन के अंदर खतरे को सूंघ निकालने में माहिर था. अपनी इसी काबिलियत के दम पर सिर्फ 5 साल के अंदर उसने तकरीबन 20 फुटबॉल पिच के बराबर जगह में बमों का पता लगाया.
अपने कारनामों की वजह से चर्चा में रहे वाले मगावा को सितंबर 2020 में एक ब्रिटिश चैरिटी के शीर्ष नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पीपल्स डिसपेंसरी फॉर सिक एनिमल्स (PDSA) के नाम से इस चैरिटी ने चूहे को lifesaving bravery and devotion to duty श्रेणी के तहत गोल्ड मेडल से नवाजा था.
तकरीबन 7 साल का मगावा बीते 5 साल से लगातार इस काम में लगा हुआ है. लेकिन, अब समय के साथ उसे थकान महसूस होने लगी है. इसका असर उसके फुर्तीलेपन पर साफ दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि, अब ये बेहद बहादुर चूहा रिटायर हो रहा है. ऐसे में रिटायरमेंट के बाद मगावा को जंगलों में भटकने के लिए नहीं छोड़ा जाएगा. बल्कि वो अच्छे से आगे भी अपने जीवन को अपना मनपसंद खाना खाते हुए बिताएगा.

Pratiksha

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