2021 में पूरे साल इन राशियों को झेलना पड़ेगा शनि के साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव, जानें कैसे करें उपाय
2021 में पूरे साल इन राशियों को झेलना पड़ेगा शनि के साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव, जानें कैसे करें उपाय
आज के समय में आम जिंदगी में ज्योतिष शास्त्र का बहुत ही महत्व माना गया है. बात करें शनि देव की तो उन्हें नवग्रहों में न्याय का प्रतीक माना जाता है. ज्योतिष में शनि की स्थिति बेहद अहम मानी गई है. किसी भी व्यक्ति के भविष्य की जानकारी जुटाने के लिए शनि का सही आंकलन करना ज्यादा जरूरी होता है. व्यवहार से भले ही शनिदेव काफी क्रूर माने जाते हैं, लेकिन कुंडली में अगर शनि की स्थिति अशुभ हो तो जातकों कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिस समय शनि धीमी गति से चलते हैं उस समय इसका परिणाम भी लोगों को लोगों को काफी देरी से मिलता है.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि एक राशि में निवास करते हैं. गोचर के मुताबिक शनि जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसकी दूसरी और बारहवीं राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव पड़ता है कि. जबकि इसके अलावा शनि जिन राशि से चतुर्थ और अष्टम होते हैं उस पर ढैय्या का प्रभाव पड़ता है. शुभ शनि अपने साढ़ेसाती ढैय्या में जातकों को लाभ पहुंचाते हैं. जबकि शनि साढ़ेसाती और ढैय्या में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिस पर शनि का प्रभाव शुभ होता है उस व्यक्ति को कई सारी खुशियां मिलती हैं. लेकिन जब जिस पर क्रोधित होते हैं, उस मनुष्य को हमेशा संकटों का सामना करना पड़ता है.
कुछ ज्योतिष शास्त्रों की माने तो कोई ऐसी कई राशिया हैं जिन पर शनि का प्रभाव रहेगा. ऐसे में जानते हैं कि कौन सी हैं वो राशियां, जिन पर साढ़े साती का प्रभाव रहेगा, चलिए आपको भी बताते हैं.
साल 2021 में धनु, मकर और कुंभ राशि वाले जातकों को पूरे साल शनि की साढ़ेसाती का सामना करना पड़ेगा.
2021 में मिथुन, तुला राशि वाले जातकों को शनि की ढैय्या का सामना करना पड़ेगा. हालांकि इसका प्रभाव इन राशि के जातकों पर कैसा होगा ये कुंडली के मुतबिक पता चलेगा.
लेकिन यदि आप शनि के प्रभाव को कम करने के बारे में विचार कर रहे हैं. तो हर शनिवार को लोहे की कटोरी में तेल में पहले अपना मुख देख लें और फिर उस कटोरी को शनि के मंदिर में दान कर दें.
इसके साथ ही सात शनिवार को बादाम शनिदेव को चढ़ाएं. यही नहीं शनिवार को यदि लंगर या भंडारा कहीं होता है तो उसमें कोयले का दान जरूर करें. सवा किलो काले, चने, उड़द काली मिर्च लोहे की कील, काले वस्त्र में लपेटकर उसे पानी में प्रवाहित कर दें. हर शनिवार को चींटियों को शक्कर और आटा डाले. इसके साथ ही पीपल के पेड़ पर जाकर जल चढ़ाएं.
हर रोज नियम के अनुसार शनिदेव के मंत्रों का जाप करें, और शनि स्रोत का पाठ करना न भूलें.