राकेश टिकैत का बड़ा बयान, कहा- सोने के बराबर की जाए गेहूं की कीमत
राकेश टिकैत का बड़ा बयान, कहा- सोने के बराबर की जाए गेहूं की कीमत
कृषि बिल के खिलाफ चल रहे आंदोलन का बड़ा चेहरा गणतंत्र दिवस के बाद राकेश टिकैत बनकर उभरे हैं. जिस वक्त लगा कि अब आंदोलन अलग-थलग पड़ जाएगा, उस वक्त राकेश टिकैत के आंसुओं ने फिर से सभी किसानों को बिल के खिलाफ एक कर दिया. एब माहौल ऐसा है, कि ज्यादा से ज्यादा किसान बढ़-चढ़कर इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं.
MSP को लेकर एक बार फिर राकेश टिकैत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि, MSP के लिए महेंद्र टिकैत का ‘टिकैत फ़ॉर्मूला’ लागू कर दिया जाना चाहिए. टिकैत फ़ॉर्मूले के आधार पर उन्होंने गेहूं की कीमत सोने के दाम के बराबर बता दिया. इसके साथ ही यह भी कहा कि जिस तेजी से सोने की कीमत बढ़े, उतनी ही तेजी से गेहूं के दाम भी बढ़ें.
इसके आगे बातचीत करते हुए उन्होंने आगे कहा कि, ‘3 क्विंटल गेहूं (300 किलोग्राम) की कीमत 1 तोले (10 ग्राम) सोने के बराबर की दी जाए.” दरअसल 26 जनवरी को हुए घमासान के बाद किसान आंदोलन की जगह सिंघु बॉर्डर से अब गाजीपुर बॉर्डर की ओर शिफ्ट हो गया है. जिसके नेता अघोषित और घोषित तौर पर महेंद्र टिकैत के बेटे ‘राकेश टिकैत’ ही हैं. ऐसे में MSP को लेकर दिया गया उनका बयान तेजी से लोगों के बीच चर्चा में बना आ है.
‘राकेश टिकैत’ का कहना है कि, ‘एमएसपी को लेकर महेंद्र टिकैत का फ़ॉर्मूला लागू किया जाए. 1967 में भारत सरकार ने MSP को तय कर दिया था, उस वक्त गेहूं की कीमत 76 रुपये प्रति क्विंटल होती थी. जो प्राइमरी स्कूल के अध्यापक थे उनकी सैलरी 70 रुपये महीने होती थी. अध्यापक एक महीने की सैलरी से 1 क्विंटल गेहूं नहीं खरीद पाता था. हम 1 क्विंटल गेहूं की कीमत से भट्टे की ढाई हजार ईंटें खरीद सकते थे. तब 30 रुपये की 1 हजार ईंट आ जाती थी.”
इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि, ‘उस समय सोने की कीमत 200 रुपये प्रति तोला था. जो 3 क्विंटल गेहूं से खरीदा जा सकता था. ऐसे में अब तीन क्विंटल गेहूं के बदले हमें 1 तोले सोना दे दो, और उसी के आधार पर कीमतें तय की जाएं. जितना कीमत और चीजों की बढ़े, उतनी ही कीमत गेहूं की भी बढ़नी चाहिए.” फिलहाल राकेश टिकैत का ये बयान फिर किस तरह से बहस का मुद्दा बनता है, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.