कभी गरम कभी नरम, राहत साहब के वो शेर जो आज भी लोगों की जुंबा पर रहती है
कभी गरम कभी नरम, राहत साहब के वो शेर जो आज भी लोगों की जुंबा पर रहते है
कभी गरम कभी नरम राहत इंदौरी जी की शायरी भी मानो कुछ ऐसी ही थी…. जो शायरी उन्होंने लिखी वो जमाने को हमेशा याद रहेगी… उनके कलम से निकले हर एक शब्द सदियों तक लोगों के दिल में बसेंगे… शायरी का ऐसा सुरूर की आप हर बार सुनना चाहें, शब्दों की ऐसी लिखावट की पढ़ने का मन करे… उर्दू की ऐसी पकड़ की हर किसी के जुबां पर चढ़ जाए…
बता दें कि मशहूर शायर राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार को निधन हो गया. वे कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे, जिसके उपचार के लिए उन्हें मध्य प्रदेश के इंदौर में 10 अगस्त की देर रात अरविंदो अस्तपाल में भर्ती कराया गया था. राहत इंदौरी के बेटे सतलज ने इस बात की जानकारी दी थी, बाद में खुद भी राहत इंदौरी ने इस बारे में ट्वीट किया था.
राहत साहब की वो शायरी जो आज भी लोगों की जुबां पर बसती है….. कोई यूथ के सर कर बोली तो कोई NRC और CAA का नारा बन गई… “किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है”, राहत इंदौरी की ये लाइन नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और भारतीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में प्रदर्शकारियों के लिए बुलंद आवाज बनी… तो वहीं “बुलाती है पर जाने का नहीं हर यूथ के जुबां पर चढ़ गया था”…