अमृतसर हादसा: वरना ऐसे हादसे होते रहेंगे, और लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे.
अमृतसर हादसा: वरना ऐसे हादसे होते रहेंगे, और लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे.
देश में इस समय गुस्से का महौल है, और इस गुस्से की वजह है वही पुरानी सिस्टम और सरकार की लापरवाही, और आम आदमी की जिंदगी से खिलवाड़… दशहरे के शुभ मौके पर जहां देश खुशियां मना रहा था, वहीं छोटी सी लापरवाही ने कई जिंदगी को एक पल में रौंद दिया. खुशियों के बीच मौत बनकर आई ट्रेन ने पल भर हजारों जिंदगी उजाड़ दी.जो लोग कुछ देर पहले रावण के दहन होने पर तालियां बजा रहे थे. वो अब खुद चिताओं पर लेटे थे.
अमृतसर में शुक्रवार को एक ऐसा भयानक मंजर लोगों ने देखा की शायद ही कोई भूल पाए, रावण दहन में आए ना जेने कितने लोग काल की गाल में समा गए, लोगों को घर पहुंचाने वाली ट्रेन ने कई लोगों को पल भर रौंद दिया. जो शायद अब कभी घर नहीं जा पाएंगे.यही नहीं ना जाने कितने लोग अब ना दुनिया को अपने आखों से देख सकेंगे ना हाथों से महसूस कर सकेंगे…
इस हादशे ने जहां देश को कभी ना भूल पाने वाला घाव दिया है, वहीं एक बार फिर सरकार से लेकर रेलवे तक को एक कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. जाने वाले तो चले गए, लेकिन सवाल वही हैं, कि आखिर कब तक आम आदमी किसी और की गलती का शिकार होता रहेगा. गलती एक दूसरे पर डाल देने भर से सवाल खत्म नहीं हो जाता. सवाल तो बना रहेगा, और तबतक बना रहेगा जबतक कोई इस सवाल का सही जवाब ना दे दे… जबतक इस तरह के हादसे ना रुक जाएं, जबतक आम आदमी खुद को सुरक्षित ना समझे.
इन सब के बाद जो बात आती है, वो है आम आदमी की सतर्कता की. सरकार के ऊपर दोष डालने या रेलवे को कठघरे में लाने भर से वो लोग वापस नहीं आ जाएंगे, अगर उस समय सतर्कता की गई होती, तो शायद इतना बड़ा होने से बच जाता… ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन देखना कहां समझदारी है.. आज इंसान को खुद सतर्क होना बहुत जरूरी है, वरना ऐसे हादसे होते रहेंगे, और लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे.