नवरात्रि के छठे दिन इसलिए करनी चाहिए कात्यायनी मां की पूजा
नवरात्रि के छठे दिन इसलिए करनी चाहिए कात्यायनी मां की पूजा
नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के स्वरूप कात्यायनी मां की पूजा की जाती है…देवी कात्यायनी का रुप बहुत आकर्षक है…उनका शरीर सोने की तरह चमकीला है..मां कात्यायनी की चार भुजा हैं…उनके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित है..साथ ही दूसरें दोनों हाथों में अभयमुद्रा और वरमुद्रा है…मां की सवारी सिंह है…
बताते हैं कि मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था…इसलिए उन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है…मान्यता है कि माता कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति मिलती होती है…
पूजा विधि
सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां कत्यायनी को स्थापित करें…देवी कात्यायनी को पीले रंग से सजाना चाहिए..मां की पूजा ठीक उसी तरह करें जैसे नवरात्रि के अन्य दिनों में सभी देवियों की जाती है.. इस दिन पूजा में विशेषरूप से शहद का प्रयोग करना चाहिए…मान्यता है कि शहद के भोग से मां बहुत प्रसन्न होती हैं…धूप-दीपक से मां की आरती उतारें..
जिन कन्याओं के विवाह में देरी आ रही है उन्हें विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए…मान्यता है कि माता कात्यायनी की पूजा से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छे पति का वरदान देते हैं…इसके साथ ही मां कात्यायनी की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है और रोग से मुक्ति मिलती है…