एक बार फिर टल गई अनुच्छेद 35A पर सुनवाई, आखिर क्यों हो रही है इसपर चर्चा
एक बार फिर टल गई अनुच्छेद 35A पर सुनवाई, आखिर क्यों हो रही है इसपर चर्चा
आज देश में सबसे ज्यादा जिस बात पर चर्चा हो रही है वो है, आर्टिकल 35A , वैसे सुप्रीम कोर्ट में आज अनुच्छेद 35A पर अहम सुनवाई होनी थी. कोर्ट को आज फैसला करना था की इससे संविधान पीठ के पास भेजा जाए या नहीं. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35A पर सुनवाई टल गई है. अब इस मामले की सुनवाई जनवरी 2019के दूसरे हफ्ते में होगी.
आखिर क्या है आर्टिकल 35A
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये 35A अनुछेद है क्या, दरासल इसे लेकर आजा भी लोगों के बीच असमनजस की स्थिति बनी ही है. म लोग क्या बड़े बड़े विशेषज्ञ भी इसे समझे का अभी प्रयास कर रहे हैं. चले जानते हैं कि आखिर ये है क्या.
दरासल 14 मई 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने हमारे संविधान में क नया अनुछेद जोड़ा था, जिसके मुताबिक कश्मीर में लोगों को कुछ विशेष आधिकार मिले हैं, जो उन्हें कश्मीर का नागरिक होने का प्रमाण भी देता है. और वहां के हर अधिकार से जोड़ता है. लेकिन यही अनुछेद वहां पर बाहर से आए शरणार्थियों के लिए किसी अभीशाप से कम नहीं है. इसके चलते वहां पर लाखों लोगों को कश्मीर का ना तो नागरिक माना जाता है, और ना ही उन्हें की अधिकार मिलते हैं. इन अधिकारों में सरकारी नौकरी से लेकर वोट डालने तक शामिल है.
नहीं मिलते ये अधिकार
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ये लाखों लोग भारत के तो नागरिक हैं, उन्हें भारत लोकसभा चुनाव में वोट भी कर सकते हैं लेकिन ये कश्मीर के नागरिक नहीं हैं ना ही वहां इन्हें सरकारी नौकरी मिल सकती है और ना ही ये लोग वहां वोट डाल सकते हैं.
अब इसे लेकर बड़ी बहस शुरू हो गई है, इस चीज को लेकर चर्चाएं तो बहुत पहले से थी लेकिन इस मामले में ना तो सरकार पड़ना चाहती है, ना न्यायलय इससे उलझना चाहती है, लेकिन अब इन अधिकारों को लेकर मांग कोर्ट रूम तक पहुंच गई है, और जितनी तेजी से इसको हटाने की मांग बढ़ रही है उतनी तेजी से इसके विरोध के स्वर भी गूंजने लगे हैं.
1954 में लगाया गया ये अनुछेद कितने प्रतिशत सही है इस बात पर चर्चा लगातार हो रही है. अब इस पर कोर्ट क्या फैसला देती है इसपर सबकी नजर बनी हुई है, वहीं जम्मू-कश्मीर में भी इसके चलते स्थिति संवेदनशील बनी ही है.
By Pratiksha (@pratiks36264487 )