kanwar yatra Facts : क्या होता है कांवड़ और कितने दिन की होती है यात्रा
kanwar yatra Facts : क्या होता है कांवड़ और कितने दिन की होती है यात्रा
सावन मास की शुरुआत होते ही कांवड़ यात्रा भी प्रारंभ हो गई है। इस साल कांवड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होकर आगामी 26 जुलाई, 2022 तक चलेगी। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष विधान होता है और उनके लिए भक्त दूर-दूर से कांवड़ में गंगा जल भर कर लाते हैं और गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सावन में कांवड़ यात्रा कर भगवान शिव का जलाभिषेक करने से वे प्रसन्न होते हैं।
इन स्थानों से गंगाजल लेने जाते हैं कांवड़िये
हिंदू तीर्थ स्थानों से ही गंगाजल लेने कांवड़िए आते हैं। हरिद्वार, गौमुख व गंगोत्री, सुल्तानगंज में गंगा नदी, काशी विश्वनाथ, बैद्यनाथ, नीलकंठ और देवघर आदि स्थानों से कांवरिये गंगाजल भरकर अपने-अपने स्थानीय शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं।
जानें, कांवड़ यात्रा से जुड़े नियम
कांवड़ यात्रा के दौरान कंवरिये व्रत का पालन करते हैं। इस दौरान अन्न और नमक का सेवन नहीं किया जाता है।
यदि कंधे पर कांवड़ है तो कांवड़िए जल का ग्रहण नहीं कर सकते। ऐसा करने से कांवर में रखा गंगा जल जूठा माना जाता है।
यात्रा के दौरान कांवड़ कभी जमीन पर नहीं रखा जा सकता।
कांवड़िए बिना शिवजी को जल चढ़ाए वापस घर नहीं जा सकते।