IIT मुंबई का सुझाव- डेबिट कार्ड पर MDR लिमिट तय की जाए,क्या होता है MDR
IIT मुंबई का सुझाव- डेबिट कार्ड पर MDR लिमिट तय की जाए,क्या होता है MDR
आईआईटी मुंबई ने सरकार को एक सुझाव दिया है…उसने कहा है कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर सभी तरह के डेबिट और प्रीपेड कार्ड पर मर्चेंट डिस्काउंट चार्ज (MDR) की लिमिट तय की जाए…हालांकि सरकार इस सुझाव पर कितना अमल करती है इसका अंदाजा लगाना तो मुश्किल है…लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये MDR क्या है और इसका कस्टमर्स पर क्या असर पड़ता है…
मर्चेंट डिस्काउंट रेट को शोर्ट में MDR कहते हैं…एमडीआर ऐसी फीस है जो दुकानदार डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर कस्टमर से लेता है…यानी यह डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट की सुविधा पर लगने वाली फीस है…बता दें क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट पर एमडीआर की फीस तीन हिस्सों में डिवाइड होती है…सबसे बड़ा हिस्सा क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को मिलता है.. इसके बाद कुछ हिस्सा उस बैंक को मिलता है, जिसकी प्वाइंट ऑफ सेल्स (POS) मशीन दुकानदार के यहां लगी होती है…आखिर में MDR का कुछ हिस्सा पेमेंट कंपनी जैसे वीजा, मास्टर कार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस को मिलता है…
बता दें ज्यादातर कारोबारी MDR चार्जेज का भार कस्टमर्स पर डालते हैं और बैंकों को दी जाने वाली फीस का अपने पर भार कम करने के लिए कस्टमर्स से भी इसकी फीस वसूलते हैं…
सुझाव में कहा गया है कि डेबिड कार्ड पर MDR लेनदेन मूल्य के मुकाबले 0.6 प्रतिशत तक सीमित करने की आवश्यकता है…MDR के लिए 0.6 प्रतिशत की निर्धारित दर पर ऊपरी सीमा 150 रुपये तय होनी चाहिए…
पीओएस आधारित भुगतान स्वीकार करने वाले छोटे और मझले व्यापारियों के लिए जहां वार्षिक कारोबार दो करोड़ रुपये तक है, वहां 2,000 रुपये तक के लेनदेन के लिए MDR सीमा 0.25 प्रतिशत तक की जा सकती है, जबकि 2,000 से ज्यादा के लेनदेन के लिए यह सीमा 0.6 प्रतिशत तक हो..
इस वक्त 20 लाख रुपये या इससे ज्यादा के वार्षिक कारोबार वाले व्यवसायों के लिए डेबिट कार्ड MDR की सीमा लेनदेन मूल्य का 0.9 प्रतिशत है, जो अधिकतम 1,000 रुपये तक हो सकती है…
मालूम हो कि आज के समय में डिजिटल लेनदेन काफी बढ़ गया है…