कब मनाई जा रही है गुरु गोबिंद सिंह जयंती, सिखों के लिए इस दिन जरूरी होती हैं ये 5 चीजें
कब मनाई जा रही है गुरु गोबिंद सिंह जयंती, सिखों के लिए इस दिन जरूरी होती हैं ये 5 चीजें
एक दौर में लोगों को सच्चाई की राह पर ले जाने वाले सिखों के 10वें धर्म गुरु गोबिंद सिंह जी पटना साहिब में जन्मे थे. साल 1699 की बात है, जब गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की नींव रखी थी. ये स्थापना सिखों अहम ऐतिहासिक घटना शामिल है. गुरु गोबिंद सिंह की ओर से ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु बनाया गया था. सिख धर्म की माने तो, उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सच्चे मन से सेवा और उन्हें सही राह दिखाने में बिता दी थी. खास बात तो यह है कि, गुरु गोबिंद सिंह के विचार और शिक्षाओं को आज भी लोग अपने जीवन में उतारते हैं.
कैसे सेलिब्रेट होती है गुरु गोबिंद सिंह जयंती
इस खास दिन को लोग प्रकाश पर्व या फिर गुरु पर्व के नाम से भी जानते हैं. बुधवार, यानी 20 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह जी की 354वीं जयंती मनाई जाएगी. देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी कई जगहों पर इस दिन सिख समुदाय से जुड़े लोग प्रभात फेरी निकालते हैं. इसके साथ ही गुरुद्वारों में शबद कीर्तन का भव्य आयोजन रखा जाता है. इसके अलावा लोग गुरबानी का पाठ भी करते हैं.
सिख धर्म के लोग गुरु गोबिंद सिंह जयंती को शानदार तरीके से मनाते हैं. इस दिन गुरुद्वारे की साज-सजावट की जाती है. खास बात तो यह है कि इस दिन खालसा पंत की झांकियां भी निकालती हैं. प्रकाश पर्व पर लंगर का भी आयोजन होता है. सिखों के लिए 5 चीजें- बाल, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोबिंद सिंह ने ही दिया था.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, इन 5 चीजों को ‘पांच ककार’ के नाम से पुकारा जाता है. जिन्हें धारण करना हर सिख के लिए जरूरी होता है. गुरु गोबिंद सिंह ज्ञान के साथ ही सैन्य क्षमता के लिए भी प्रसिद्ध हैं. गुरु गोबिंद सिंह ने संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी सीखी थीं. यही नहीं बल्कि वो धनुष-बाण, तलवार, भाला चलाने की कला में भी काफी निपुण थे.
बता दें कि इसके अलावा गुरु गोबिंद सिंह में लेखर की भी खूबियां थीं. वो अक्सर लिखा करते थे. उन्होंने खुद कई ग्रंथों की रचना भी की थी. उन्हें विद्वानों का संरक्षक माना जाता था. माना जाता है कि उनके दरबार में हर वक्त 52 कवियों और लेखकों की मौजूदगी रहती थी. इस वजह से उन्हें ‘संत सिपाही’ भी कहा जाता था.