अक्सर आप भी भीख मांगते बच्चों से परेशान हो जाते होंगे, अक्सर आप भी राशन के सरकारी जगहों पर लाइन देखकर हैरान हो जातें होंगे. अक्सर आप अपने घरों में बचे हुए खाने को यूंही फेंक देते होंगे. अक्सर आप खाने पर हजारों खर्च कर देतें होंगे. लेकिन इसे पढ़ने के बाद शायद आप थोड़ा अलग सोचने लगेंगे.
वैसे तो आज भारत एक ऐसा देश जिसे उगता हुआ सूरज कहा जाए तो गलत नहीं होगा, आज देश हर मायने में विकास कर रहा है, आज भारत का लोहा अमेरिका और चीन भी मानते हैं. अपने इस देश पर मुझे भी गर्व है.
लेकिन फिर भी कुछ ऐसा है जिसे सोच कर आज मैं ये लिखने पर मजबूर हो गई हूं, देश जहां एक तरफ कामयाबी के झंडे गाड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ तीन मासूम भूख से दम तोड़ देते हैं, अगर हमें एक दिन खाना नहीं मिलता तो हमारी हालत कैसी हो जाती है. जरा सोचिए वो मासूम ना जाने कितने ही दिनों से खाने के लिए तरस रही होंगीं. खाने की खोज में ना जाने कहां कहां भटकीं होंगी, लेकिन जब शरीर ने साथ छोड़ दिया तो क्या करती वो मासूम. सोचिए कितना भूख से कितना तड़पी होंगी, ना जाने कब से एक भी निवाला उनके पेट में नहीं गया होगा.
दिल्ली जो भारत की राजधानी है, जहां शायद देश में सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है. वहां पर इस तरह की घटना हो रही है. दिल्ली के मंडावली इलाके में वो तीन बच्चियां भूख से मर गईं, क्या सरकार इतनी लाचार हो गई है, और सरकार ही क्यों क्या हम में जरा सी भी इंसानियत नहीं रह गई. क्या उन बहनों के मौत की जिम्मेंदार सिर्फ सरकार है, क्या हम सिर्फ सरकार पर जिम्मेदारी सौप कर, उन्हें दोषी ठहरा कर खुद इस दोष से स जिम्मेदारी बच नहीं रहे. क्या हम इन सब के जिम्मेदार नहीं हैं.
वैसे तो बहुत सारे NGO ऐसे लोगों के लिए काम करते हैं, लेकिन उन्हें भी हर तरह का सहयोग नहीं मिल पाता… कभी कभी तो ऐसे मासूम इन तक पहंच भी नहीं पाते और इससे पहले ही दम तोड़ देते हैं..
ये ऐसा पहला केस नहीं है, इससे पहले भी कई केस हम रोज पढ़ते और सुनते है. कभी कोई औरत भूख से तड़प कर मर जाती है, तो कभी कोई मां बेटे भूख की बलि चढ़ जाते हैं. देश के हर हिस्से में आज भी ना जाने कितने ऐसे लोग हैं, जिनका आधार कार्ड तो है पर खाने के लिए खाना नहीं है. देश में हर साल ना जाने कितने लोग भूख से दम तोड़ते हैं उनमें ज्यातर बच्चे होतें है. आज भी हजारो बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं.
देश का विकास तब होगा जब हम अपनी जिम्मेदारियां सरकार पर नहीं सौपेंगे, जब पॉलिटिकल पार्टियां आरोपों के ऊपर देश के लिए सोचेगी. जब हम सिर्फ किसी NGO या सरकार पर निर्भर नहीं रहेंगे बल्कि इनके लिए आगे आएंगे. जब हर किसी के पास पेट भर खाना होगा, और जब कोई भूख और लाचारी से नहीं मरेगा.
By Pratiksha (@pratiks36264487 )
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