Dharam: तो इसलिए सुहागिन महिलाएं नहीं करती हैं मां धूमावती की पूजा
तो इसलिए सुहागिन महिलाएं नहीं करती हैं मां धूमावती की पूजा
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां धूमावती जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि धूमावती जयंती के दिन मां की पूजा विधि-विधान से करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है और साथ ही मनुष्य रोग, दरिद्रता और दोष से निजात पा लेते हैं।
लेकिन क्या आपको पता है मां धूमावती के दर्शन सुहागिन महिलाएं नहीं कर सकती है। आज हम आपको बताएंगे ऐसा करना का कारण क्या है।
मां धूमावती को माता पार्वती का उग्र स्वरूप माना जाता है। आपको बता दें कि भारत में मां धूमावती का इकलौता मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया में स्थित है। वहीं इस मंदिर में सिर्फ पुरुषों और कुंवारी कन्याओं ही जाते हैं।
10 महाविद्याओं में उग्र मां धूमावती का स्वरूप विधवा का है और इनका वाहन कौआ है। माता श्वेत मलिन वस्त्र धारण करती हैं और उनके केश खुले हुए हैं। इनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्त इन पर शनिवार के दिन काले कपड़े में काले तिल इन्हें भेंट करते हैं।