शबनम के पक्ष में उतरे एपी सिंह, नहीं चाहते हो सजा, देश से फांसी खत्म करने पर कर रहे काम
शबनम के पक्ष में उतरे एपी सिंह, नहीं चाहते हो सजा, देश से फांसी खत्म करने पर कर रहे काम
7 साल निर्भया के दोषियों को बचाने में जुटे रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एपी सिंह एक बार फिर चर्चाओं में आ गए हैं. इस बार वो आरोपी शबनम के पक्ष में उतरे हैं, और उन्हें फांसी न दिए जाने को लेकर वकालत शुरू कर दी है. इस केस के बारे में बात करते हुए एपी सिंह ने कहा कि वो ये नहीं चाहते कि, शबनम को फांसी हो.
इसके साथ ही उन्होंने ये भी खुलासा किया है कि, वो ऐसे विषय पर काम कर रहे हैं, ताकि भारत से फांसी जैसी सजा को ही खत्म कर दिया जाए. लेकिन अभी वो ऐसे लोगों के आंकड़े इकट्ठे करने में लगे हैं, जिन्हें ये सजा दी जा चुकी है. उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों के घरवालों से भी बातचीत कर रहे हैं. इस बारे में एपी सिंह ने ज्यादा कुछ तो नहीं बताया, लेकिन उन्होंने ये जरूर तहा कि, एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें अभी थोड़ा और समय और लग सकता है.
एपी सिंह की माने तो अब अमेरिका भी फांसी की सजा को खत्मक करने की ओर काम कर रहा है. लेकिन आपको बता दें कि हाल ही में एक महिला को जघन्य अपराध में लिप्त पाए जाने के बाद से जहरीला इंजेक्शेन देकर मौत की सजा दी सुनाई गई थी. हालांकि भी देखा जाए तो उत्तर प्रदेश की रामपुर जेल में कैदी बनी शबनम की फांसी टलती हउई नजर आ रही है.
इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि, राज्य पाल के पास एक याचिका दायर हुई है. इस याचिका को खुद शबनम के बेटे ने दायर की है. दरअसल शबनम पर आरोप है कि, उसने अपने ही परिवार के 7 लोगों को बुरी तरह से मौत के घाट उतार दिया है. ये आरोप शबनम पर साबित भी हो चुका है. जिसके बाद निचली अदालत के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी शबनम को मिली फांसी की सजा को सही पाया गया. इसके बाद राष्ट्रिपति ने भी शबनम की दया याचिका को खारिज कर उसकी सजा पर आखिरी मुहर लगाई थी.
हालांकि अभी शबनम की फांसी की सजा को खत्मी करके उसे उम्रकैद में बदलने की मांग की जा रही है. इसके पीछे की वजह उसके मासूम बच्चे बताए जा रहे हैं. अब शबनम के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठम वकील एपी सिंह भी उतर आ हैं. इससे पहले निर्भया के खिलाफ आरोपियों का भी केस लड़कर एपी सिंह चर्चाओं में आए थे. 14 अप्रैल 2008 की इस घटना ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया थाा
इस केस के बारे में एपी सिंह का कहना है कि वो केवल फांसी को भारत से खत्मक करने के ही सपोर्ट में नहीं हैं, बल्कि शबनम एक महिला है और उसका एक बेटा भी है जिसका कोई गुनाम नहीं है. इस वजह से वो ये चाहते हैं कि उसे फांसी न दी जाए. उन्होंने कहा कि वो मानते हैं कि शबनम ने एक दर्दनाक घटना को अंजाम दिया है. लेकिन उनका कहना है कि, भारत की अदालतें जेलों को सुधार गृह बनाने की कोशिश करें प्रयास करें न कि उन्हेंं फांसी घर में तब्दीधल कर दें.