जब भारत को मिला अर्थव्यवस्था का कभी न मिटने वाला जख्म
जब भारत को मिला अर्थव्यवस्था का कभी न मिटने वाला जख्म
अखंड, अतुल्य और अद्भुत भारत वो देश है जो सदियों से एक मजबूत स्तंभ बनकर खड़ा है, गुलामी के घने कोहरों को चीरता ये देश आज हर दिन एक नए सुबह की ओर अग्रसर है… लेकिन एक समय ऐसा भी था जब भारत गुलामी की जंजीरों में कैद था… हर ओर दुश्मन घात लगाकर देश के बीखरने का इंतजार कर रहे थे.. मुगलों की दिए हुए दर्द को अभी देश भूल भी नहीं पाया था और अंग्रेजों ने फिर से भारत को परतंत्रता और दासता में धकेल दिया और और सोने की चिड़िया कहा जाने वाले इस हिन्दुस्तान को लूट लिया…1608 का वो साल शायद ही कोई भूले जब व्यापार के बहाने अंग्रेजों ने देश की मिट्टी पर कदम रखा और 200 सालों में सबकुछ सबाह कर दिया. जो भारत आज अपने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की हर दिन कोशिश कर रहा है, वो कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था. लेकिन अंग्रेजों ने भारत को पूरी तरह कंगाल कर दिया, अब तक हुए सर्वे की माने तो 45 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ती अपने साथ ले गए. जो एक बहुत बड़ी संख्या है. इन्हीं लूटे हुए पैसों से उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम दिया. और कभी 4 रुपए का 1 डॉलर 70 रुपये कब पहुंच गया पता ही नहीं चला.पैसों के साथ देश की सदियों विरासत हीरे जवाहरात और अरबों की संपत्ति को लूट लिया. हमारे ही देश में रहकर हमपर हजारों टैक्स लगा दिए. देश के नागरिकों से मुफ्त में बेहद ही कम पैसों काम कराया… यही नहीं लोगों की संपत्ति तक हड़प ली गई. उन लोगों ने हमसे ही हमारे पैसों पर सामान खरीदे. यानी पहले हमसे सामान हमारा तैयार किया गया देश के दिए गए टैक्स से पैसे से सस्ते दामों पर खरीदा जाता और उसे और उसे वो खुद इस्तमाल करते थे… मतलब उनका एक भी पैसा कहीं नहीं लगता. साथ ही उन समानों को बाकी देशों को मेंहगे दामों पर भी बेचा जाता और उससे भी पैसे कमाए जाते थे.आजादी के लिए लड़ी गई लड़ाई में भले ही उन्हें भारत छोड़ना पड़ा… देश आज भी उनके दिए आर्थिक जख्मों को सिलने में लगा हुआ है.