क्या यही है भारत का खूबसूरत जन्नत, कहीं बम गिरे तो कहीं पत्थर
क्या यही है भारत का खूबसूरत जन्नत, कहीं बम गिरे तो कहीं पत्थर
जम्मू कश्मीर में लगातार हो रहे उठा पटक ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया था.
कि आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि लोगों ने हाथों में पत्थर उठा लिए.
आखिर इतनी नफरत कहां से आ गई लोगों में की वो कुछ भी सुनने और समझने को तैयार नहीं हैं. उ
न्हें दिखाई दे रही है तो बस एक चीज की आर्मी और पुलिस को वहां से हटाना है.
जिस पुलिस से हम और आप शायद ही कभी उलझना चाहेंगे,
वो लोग उनपर पत्थर बरसा रहे हैं.
बात यहां तक आ गई कि वहां की सरकार को गिरना पड़ा, बीजेपी ने पीडीपी से अपना समर्थन भी वापस ले लिया. और वहां राज्पाल शासन लगाना पड़ा.
कहीं लोग मरे तो कहीं घर उज़ड़े.
आए दिन ना जाने कितने सैनिकों ने अपनी जान दी, ना जाने कितने ही जवान शहीद हुए.
सिर्फ जवान ही नहीं बल्कि वहां के स्थानीय लोगों ने भी जान गंवाई.
कहीं बम बरसे तो कहीं पत्थर.
कहीं लोग मरे तो कहीं घर उज़ड़े.
कहते है ना की बाहर के लोगों को हराना आसान है,
लेकिन अगर वहां के अपने लोगों ने ही हाथ में पत्थर उठा लिया हो तो की क्या करे.
सोशल मीडिया पर हर दिन ना जाने कितने पोस्ट किए जाते हैं. यहां तक की शहीद की शहादत पर भी लोग गलत गलत बातें करते हैं.
आखिर कब तक और कहां तक
रमजान के पाक महीने में सीजफायर लगने के बाद भी ये सब बंद नहीं हुआ बल्कि और विकराल रूप ले लिया.
यहां तक कि ईद की नमाज के तुरन्त बाद ही लोगों ने पुलिस पर पत्थर बरसाए.
औरंगजेब जैसे देशभक्त को जहां गोलियों से छलनी किया गया
वहीं शुजात बुखारी जैसे साहसी पत्रकार ने अपनी जान गंवाई.
आखिर कब तक और कहां तक ?
कब रुकेगा ये सब क्या सरकार गिराने से या राज्यपाल शासन लगाने से सब ठीक हो जएगा. क्या सीजफायर खत्म करने से शहीद जवान वापस जाएंगे.
By Pratiksha (@pratiks36264487 )
जम्मू कश्मीर मे बिगड़ते हालात के चलते बीडेपी और पीडीपी के रास्ते हुए अलग