कुछ सही आज भी गलत क्यों लगता है…

 कुछ सही आज भी गलत क्यों लगता है…

एक लड़की हूं मैं हर काम कर सकती हूं, दुनिया से लड़ सकती हूं, आजाद हूं आत्मनिर्भर हूं… फिर वो क्या है जो सही तो है पर फिर गलत लगता है. जिसे करने में आज भी हमें डर लगता है. जिसे कहने में आज भी सोचना पड़ता है. कल एक लेख पढ़ते पढ़ते अचानक मेरे जहन में एक सवाल आया. कि क्या खुद को आत्मनिर्भर और आजाद समझने वाली मैं सच में आजाद हूं. और हूं तो आज भी कई बार खुद को क्यों रोक लेती हूं,

आज एक दोस्त ने मुझे लेट नाइट डिनर पर बुलाया, मैं काफी एक्साइटेड थी पर फिर कुछ सोचा और खुद को रोक लिया. सोचा रात में आई तो सेफ नहीं है, वहां रुकी तो अच्छा नहीं लगेगा, वो क्या सोचेगा लोग क्या सोचेंगे, अजीब लगेगा रहने देते हैं.

सोशल मीडिया पर लड़के का मैसेज आया मेरे साथ ही जॉब करता था पर ज्यादा बात नहीं होती थी पर नेचर काफी अच्छा था, लेकिन रिपलाई कैसे करूं कहीं ज्यादा तो न सोच ले, कहीं डेस्पेरट न समझें रहने दो नहीं करती रिपलाई

 ऑफिस में नया दिन सब नए, सोचा चलो नई जगह है नए दोस्त बनाती हूं बात करती हूं लेकिन मेरे डिपार्टमेंट में लड़कियां ही नहीं है, और लड़कों से कैसे बोलूं, मैं पहले कैसे हेलो कहूं, बाकी ऑफिस वाले क्या सोचेंगे अकेले ही खाना खा लेती हूं उनसे पूछा तो अजीब लगेगा

यही सोचते सोचते इतनी बड़ी हो गई, कहने को तो मैं आत्मनिर्भर हूं, आजाद हूं, खुद के फैसले ले सकती हूं पर कुछ सही आज भी गलत क्यों लगता है

                                                   एक लड़की

Pratiksha

A multi-talented girl possesses a degree in mass communications who is proficient in anchoring and writing content. She has experience of 3 years of working in various news channels like India TV, News 1 India, FM news, and Aastha Channel and her expertise lies in writing for multiple requirements including news, blogs, and articles. Follow@Twitter

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