अमिताभ बच्चन के घर के बाहर प्रदर्शन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अमिताभ के घर ‘प्रतीक्षा’ के बाहर कई लोगों ने उनके एक ट्वीट के बाद प्रदर्शन जारी रखा. इससे पहले बुधवार को आधा दर्जन लोग उनके दूसरे घर यानि जलसा में प्रदर्शन करने पहुंचे थे.
गुरुवार को इस प्रदर्शन में विद्यार्थी भारती का एक ग्रुप शामिल था वही दूसरे ग्रुप में वॉचडॉग फाउंडेशन के सदस्य थे. इस संस्था को पूर्व कांग्रेस कॉरपोरेटर निकोलस अल्मेदा हेड करते हैं. उन्होंने कहा कि वे शांति से प्रदर्शन करना चाहते हैं और वे वहां सिर्फ इसलिए आए हैं ताकि वे अमिताभ बच्चन को ऑक्सीजन सिलेंडर और कुछ पौधे दे सकें. इसके अलावा वे बच्चन को एक ग्रीटिंग कार्ड भी देना चाहते हैं जिसमें गेट वेल सून लिखा हो.
ये ऑक्सीजन सिलेंडर्स दरअसल बड़ी वॉटर बोतलें हैं जिन्हें कुछ इस प्रकार बनाया गया है कि वे ऑक्सीजन सिलेंडर प्रतीत होती हैं. अल्मेदा ने ये भी कहा कि हमने प्रतीक्षा की सुरक्षा में लगे पुलिस के सामने ही वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड को एक मेमोरेंडम भी दिया है.
वही आरे वन को लेकर प्रदर्शन में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नजरबंद कर लिया था. कई लोगों ने बुधवार को जलसा के बाहर प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन की वजह अमिताभ बच्चन का एक ट्वीट था. दरअसल विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं की मांग है कि मेट्रो कार शेड 3 लोकेशन को आरे के जंगल इलाके से बदल कर कंजुरमार्ग ले जाया जाए और इस परियोजना के लिए जो 2700 पेड़ों को काटे जाने का आदेश हुआ है, उन्हें जस का तस रहने दिया जाए.
पर्यावरणविदों का भी कहना है कि आरे जंगल क्षेत्र में मेट्रो 3 के कार शेड के निर्माण से ना सिर्फ पर्यावरण जंगल और वन्यजीव प्राणियों पर बुरा असर पड़ेगा, बल्कि मुंबई में बाढ़ का खतरा और बढ़ जाएगा. लेकिन मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (MMRC) अपने इस रुख पर कायम है कि मेट्रो कार शेड 3 लोकेशन को बदला नहीं जाएगा.
पर्यावरण से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर अमिताभ बच्चन ने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट करते हुए मुंबई मेट्रो की तारीफ कर दी थी. उन्होंने कहा था- ये प्रदूषण का समाधान है. मेरे एक दोस्त को मेडिकल इमरजेंसी थी, उसने कार के बदले मेट्रो से जाना चुना. वापस आकर उसने बताया कि मेट्रो तेज, सुविधाजनक और सबसे सही है. बिग बी ने आगे लिखा, ‘प्रदूषण का समाधान. अधिक पेड़ उगाओ, मैंने अपने बगीचे में लगाए हैं. क्या आपने लगाए हैं?’ उनके इस ट्वीट के बाद से ही उनके घर के बाहर प्रदर्शन का सिलसिला जारी है.
वही बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में लगी याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इससे पहले कोर्ट ने चार याचिकाएं भी सुनी थीं. एनजीओ वनशक्ति के द्वारा फाइल की गई याचिका जिसमें महाराष्ट्र सरकार के लिए निर्देश थे कि आरे के क्षेत्र को जंगल घोषित किया जाए वही 30 सितंबर से एक्टिविस्ट ज़ोरु बाथेना की याचिका पर सुनवाई होगी.
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